नवग्रह रत्न: नाम, मन्त्र, दान पदार्थ, अंगूठी पहनने के लाभ, हानि, सही समय और नियम

"नवरत्न गृह" उन नौ ग्रहों के रत्नों को संदर्भित करता है जिन्हें अत्यधिक शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह पहनने वाले के लिए सौभाग्य और विभिन्न लाभ लाते हैं। "नवरत्न" शब्द संस्कृत के शब्द "नव" से बना है, जिसका अर्थ है नौ, और "रत्न", जिसका अर्थ है रत्न। नौ रत्नों में से प्रत्येक वैदिक ज्योतिष में एक विशिष्ट खगोलीय पिंड या ग्रह से मेल खाता है। नौ रत्न हैं |

ऐसा माना जाता है कि इन रत्नों का संयोजन पहनने से पहनने वाले के जीवन में सद्भाव, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा आती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक रत्न संबंधित ग्रह के आधार पर जीवन के एक विशिष्ट पहलू को प्रभावित करता है।

भारतीय ज्योतिष में मान्यता प्राप्त नवग्रहों के रत्न निम्नलिखित हैं :

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#1 माणिक्य

सूर्य को ग्रहों का राजा मन जाता है और माणिक्य रत्न को सूर्य को बलवान बनाने के लिए पहना जाता है। माणिक्य का रंग हल्के गुलाबी से लेकर गहरे लाल रंग तक होता है। चूँकि सूर्य भाग्य का कारक माना जाता है इसलिए अगर शुद्ध और वास्तविक माणिक्य शुभ दिन और शुभ समय और सही तरीके से धारण किया जाये तो ये पहनने वाले को प्रसिद्धि, लाभ, रोगों से लड़ने की शारीरिक क्षमता, मानसिक शांति, और भी बहुत सरे लाभ प्रदान कर सकता है। परन्तु माणिक्य को पहनने से पहले आपको यह भी पता होना चाहिए की धारक के लिए अशुभ होने की स्थिति में यह उसे अनेक प्रकार के नुकसान भी पहुंचा सकता है। माणिक्य को दायें हाथ की कनिष्का उंगली में धारण किया जाता है। माणिक्य को रविवार के दिन सुबह के समय धारण करना चाहिए| धारण करने से पहले स्नान जरुर करना चाहिए |


#2 मोती

जिस प्रकार माणिक्य को सूर्य को बलवान बनाने के लिए पहना जाता है वैसे ही मोती रत्न भी चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है| मोती सीप के मुंह से प्राप्त होता है। मोती का रंग सफेद, हल्का पीला, हलका नीला, हल्का गुलाबी अथवा हल्का काला भी होता है। मोती अगर धारक के लिए लिए शुभ होता है तो यह धारक को मानसिक शांति प्रदान करता है और सुख सुविधाएं भी प्रदान कर सकता है। मोती को दायें हाथ की अनामिका या कनिष्का उंगली में धारण किया जाता है। मोती को सोमवार के दिन पहनना चाहिए| धारण करने से पहले स्नान जरुर करना चाहिए |

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#3 पीला पुखराज

ब्रहस्पति गृह को ग्रहों का गुरु कहा जाता है और पीला पुखराज बृहस्पति को बलवान बनाने के लिए पहना जाता है। पीला पुखराज का रंग हल्के पीले से लेकर गहरे पीले रंग तक होता है। अगर यह इसे पहनने वाले के लिए शुभ होता है तो यह उसे धन, विद्या, समृद्धि, अच्छा स्वास्थय और बहुत कुछ शुभ प्रदान कर सकता है। पुखराज को पर दायें हाथ की तर्जनी उंगली में ब्रहस्पतिवार के दिन पहनना चाहिए| धारण करने से पहले स्नान जरुर करना चाहिए |


#4 हीरा ( सफेद पुखराज )

शुक्र गृह मुख्यतः स्त्रीग्रह, कामेच्छा, वीर्य, प्रेम वासना, रूप सौंदर्य, आकर्षण, धन संपत्ति, व्यवसाय आदि सांसारिक सुखों के कारक है| हीरा शुक्र को बल प्रदान करने के लिए धारण किया जाता है और पहनने वाले के लिए शुभ होने पर यह धारक को सांसरिक सुख-सुविधा, ऐशवर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है| हीरा रंगहीन तथा साफ़ पानी या साफ़ कांच की तरह दिखता हैं। हीरे को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार के दिन पहना जाना शुभ होता है| धारण करने से पहले स्नान जरुर करना चाहिए|


#5 लाल मूंगा

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को सेनापति माना गया है। मंगल की प्रधानता वाले जातक साहसी, स्वस्थ और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। लाल मूंगा रत्न मंगल को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है तथा पहनने वाले के लिए शुभ होने पर यह उसे शारीरिक तथा मानसिक बल, अच्छे दोस्त, धन तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। मूंगा का रंग गहरे लाल से लेकर हल्के लाल तथा सफेद रंग तक कई रगों में होता है, किन्तु मंगल ग्रह को बल प्रदान करने वाला मूंगा गहरे लाल रंग अथवा हल्का लाल रंग का होना चाहिए| लाल मूंगा रत्न को दायें हाथ में पहनना चाहिए| अच्छा रहता है अगर इस रत्न को कनिष्का अथवा तर्जनी उंगली में पहना जाये| लाल मूंगा को ऊँगली में पहनने के लिए मगलवार का दिन शुभ होता है पर ध्यान रहे इसे सुबह के समय स्नान करने के बाद ही पहने |


#6 पन्ना

बुध को ग्रहों में सबसे सुकुमार और सुन्दर ग्रह माना जाता है| बुध गृह बुद्धि, एकाग्रता, वाणी, त्वचा, सौंदर्य और सुगंध का कारक होता बुध है| पन्ना रत्न बुध को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे पहनने वाले को अच्छी वाणी, व्यापार, अच्छी सेहत, धन-धान्य तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। पन्ना का रंग हल्के हरे रंग से लेकर गहरे हरे रंग तक का होता है| पन्ना को दायें हाथ की उंगली में पहना जाता है| अनामिका ऊँगली में पहनना शुभ रहता है| अगर बुधवार के दिन पहने तो ज्यादा शुभ रहता है| ध्यान रहे की सुबह स्नान करने के बाद ही पन्ना रत्न को पहने |


#7 नीलम

शनि को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। नीलम सभी रत्नों में सबसे अनोखा है नीलम पहनने वाले के लिए यदि शुभ होता है तो धारण करने वाले को धन, सुख, समृद्धि, नौकर-चाकर, व्यापरिक सफलता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है और अगर बुरा प्रभाव देने पर आए तो राजा को भी भीखारी बनाते इसे वक्त नहीं लगता| नीलम के प्रत‌िकूल होने पर दुर्घटना में चोट लग सकती है, शारीरिक कष्ट और धन हानि हो सकता है या हो सकता है कोई बनता हुआ काम बिगड़ जाये| इसलिए इस रत्न को किसी अच्छे ज्योतिषि के परामर्श के बिना बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। नीलम का रंग हल्के नीला या गहरा नीला होता है। नीलम को दायें हाध की मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए| इसको पहनने के लिए शनिवार का दिन शुभ कहा जाता है पर ध्यान रहे इसे सुबह के समय स्नान करने के बाद ही पहने |


#8 गोमेद

राहु एक छाया ग्रह है। इसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ से जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है। राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल फल देने लगता है| यह रत्न राहु महाराज को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने की स्थिति में यह उसे अक्समात ही कही से धन अथवा अन्य लाभ प्रदान कर सकता है। किन्तु धारक के लिए अशुभ होने की स्थिति में यह रत्न उसका बहुत अधिक नुकसान कर सकता है और धारक को अल्सर, कैंसर तथा अन्य कई प्रकार की बिमारियां भी प्रदान कर सकता है। । इस लिए राहु का रत्न गोमेद केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में राहु शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को राहु का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में राहु अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं| इसका रंग हल्के शहद रंग या गहरे शहद रंग होता है। गोमेद को दायें हाथ की मध्यमा अथवा अनामिका उंगली में पहनना चाहिए| अगर गोमेद को शनिवार के दिन पहने तो ज्यादा लाभकारी रहता है पर ध्यान रहे इसे सुबह के समय स्नान करने के बाद ही पहने |

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#9 लहसुनिया

जब किसी जातक के जीवन में केतु की महादशा चल रही हो तो लहसुनिया पहनना लाभकारी होता है| यह रत्न केतु महाराज को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है| रत्न के प्रभाव से जातक का मोह-माया व विलास आदि से मन हट जाता है और वह अध्यात्म की ओर झुकने लग जाता है। केतु ग्रह जातक को अध्यात्म, अच्छे-बुरे में अंतर समझने का ज्ञान प्रदान करता है। ये अपने आकार से ज्‍यादा वजन का लगता है। चमकदार और चिकना होता है साथ ही लंबी-लंबी सफेद धारियां होती हैं| यह कई रंगों जैसे मटमैला पीला, भूरा, शहद की तरह भूरा, सेब की तरह हरे रंग में उपलब्ध होता है। यह रत्न अपनी चमक के लिए जाना जाता है।

रत्न गृह भार धातु अंगुली  दिन मंत्र 
माणिक्य सूर्य ३ रत्ती सोना अनामिका रविवार ऊँ घृणी सूर्याय नमः
मोती चन्दा ३ रत्ती चाँदी कनिष्का सोमवार ऊँ सों सोमाय नमः
मूँगा मंगल ६ रत्ती चाँदी अनामिका मंगलवार ऊँ अं अंगारकाय नमः
पन्ना बुध ४ रत्ती सोना कनिष्का बुधवार ऊँ बुं बुधाय नमः
पुखराज गुरु ४ रत्ती सोना तर्जनी गुरूवार ऊँ बृं वृहस्पते नमः
हीरा शुक्र १/४ रत्ती प्लेटिनम कनिष्का शुक्रवार ऊँ शुं शुक्राय नमछ
नीलम शनि ४ रत्ती पंचधातु मध्य शनिवार ऊँ शं शनैश्चराय नमः
गोमेद राहू ५ रत्ती अष्टधातु मध्य शनिवार ऊँ रां राहवे नमः
लहसुनिया केतु ६ रत्ती चांदी अनामिका गुरूवार ऊं कें केतवे नम:

रत्न नक्षत्र दान पदार्थ साथ में निषेध रत्न
माणिक्य कृतिका, उफा, उषा गेहूं, गुड, चन्दन, लाल वस्त्र हीरा, नीलम, गोमेद
मोती रोहिणी, हस्त, श्रवण चावल, चीनी, चाँदी, श्वेत वस्त्र गोमेद
मूँगा मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा गेहूं, गुड़, तांबा, लाल वस्त्र हीरा, गोमेद, नीलम
पन्ना अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती मुंग, कस्तूरी, कांसा, हरित वस्त्र हीरा, गोमेद, नीलम
पुखराज पुनर्वसु, विशाखा, पू.भाद्र चने की दाल, हल्दी, पीला वस्त्र हीरा, गोमेद
हीरा भरणी, पू.फा. पू.षा. चावल, चाँदी, घी, श्वेत वस्त्र माणिक्य, मुंगा, पोखराज
नीलम पुष्य, अनुराधा, उ.भाद्र उड़द, काले तिल, तेल काले वस्त्र माणिक्य, मुंगा, पोखराज
गोमेद आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा तिल, तेल, कम्बल, नीले वस्त्र माणिक्य, मोती, मुंगा
लहसुनिया अश्विनी, मघा, मूल सप्तधान्य, नारियल, धूम्र वस्त्र माणिक्य, मोती चांदी

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