छठ का त्यौहार पुरे उत्तर भारत (Bihar) में मशहूर है जो की हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है इसे डाला छठ, डाला पुजा, सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है इस त्यौहार को पुरे भारतवर्ष में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है इसमें भगवान् सूर्य की आराधना की जाती है | हमारे देश में सूर्य भगवान् का काफी महत्व है जिस वजह से लोग इसे तरह तरह के नामो से पुकारते है और इसकी पूजा करते है | इस पूजा में सूर्य भगवान् को प्रसन्न करने के लिए गंगा, यमुना, या किसी नदी के किनारे खड़े होकर उगते हुए सूर्य की आराधना की जाती है |
Chhath Pooja Festival Dates in 2023 - छठ पूजा की तारीख
छठ पूजा का त्यौहार पारंपरिक रूप से मनाया जाता है जिसे चार दिनों तक मनाया जाता है | इस साल 2018 को छठ पूजा का त्यौहार इन चार दिनों तक चलेगा -
- 17 नवम्बर 2023 - रविवार - नहाय खाय
- 18 नवम्बर 2023 - सोमवार - लोहंडा और खरना
- 19 नवम्बर 2023 - मंगलवार - संध्या अर्घ्य
- 20 नवम्बर 2023 - बुधवार - उषा अर्घ्य, परना दिन
छठ पूजा क्या है इसे क्यों मनाते है?
मुख्य रूप से सूर्य भगवान् को खुश करने के लिए छठ पूजा मनाई जाती है इसे साल में दो बार मनाया जाता है , ऐसी मान्यता है की इस दिन पूरा दिन उपवास रखने से सूर्य की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है और सूर्य जैसी श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है | सूर्य देव की छोटी बहन छठी मैय्या के आशीर्वाद से घर में सुख शांति बनी रहती है और घर में धन धान्य के भंडारे भरे रहते है |
Chhat Pooja Kab Hai? छठ पूजा के शुभ मुहूर्त
- 19 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय
- 20 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय
How to Celebrate Chhath Pooja? छठ पूजा कैसे मनाये
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से छठ पूजा का आरम्भ होता है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इसका समापन (चौथे दिन) होता है.
नहाय खाय - प्रथम दिन 'नहाय-खाय' के रूप में मनाया जाता है इस दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र पहनकर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती है | व्रती के भोजन करने के पश्चात घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण कर रहे है |
लोहंडा और खरना - इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखकर शाम को भोजन ग्रहण करती है जिसे खरना कहते है | शाम को चाव को गुड को मिलाकर खीर बनाते है जिसमे चीनी व नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता |
संघ्या अर्घ - तीसरे दिन को षष्टि के रूप में माना जाता है इस दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है जिसे 'ठेकवा' या 'टिकरी' के नाम से जाना जाता है प्रसाद को एक टोकरी में सजाकर व्रती इसकी पूजा कर, नदी या तालाब के किनारे सूर्य को अर्घ्य देती है स्नान करने के पश्चात डूबते सूर्य की आराधना की जाती है |
नहाय खाय - प्रथम दिन 'नहाय-खाय' के रूप में मनाया जाता है इस दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र पहनकर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती है | व्रती के भोजन करने के पश्चात घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण कर रहे है |
लोहंडा और खरना - इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखकर शाम को भोजन ग्रहण करती है जिसे खरना कहते है | शाम को चाव को गुड को मिलाकर खीर बनाते है जिसमे चीनी व नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता |
संघ्या अर्घ - तीसरे दिन को षष्टि के रूप में माना जाता है इस दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है जिसे 'ठेकवा' या 'टिकरी' के नाम से जाना जाता है प्रसाद को एक टोकरी में सजाकर व्रती इसकी पूजा कर, नदी या तालाब के किनारे सूर्य को अर्घ्य देती है स्नान करने के पश्चात डूबते सूर्य की आराधना की जाती है |
उषा अर्घ्य - छठ पूजा के आखिरी दिन बिहारी व पूर्वी उत्तर प्रदेश के देश के कोने-कोने में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है इस दिन व्रती जल में शरीर के आधे भाग (कमर) तक डूबाकर दीप जलाकर अलग अलग तरीके से सूप उगती है और सूर्य को अर्घ्य देती है और छठी मैय्या के गीत गाती है |
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