![Gayatri Mata Ki Aarti | Arti Shri Gayatri Ji Ki Gayatri Mata Ki Aarti | Arti Shri Gayatri Ji Ki](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlUs1WW-e0ER7m-NFzemMFPCv1d7yPwZWphz2nWllFRdPVATdHH1knZV8D9d7dddUyI3oi-sNeaU8-_MfVXgGuvOtzubF31zJaDc90XQ23n1rljhoVlf4NjetwfNrovKyvdp5pw-gq16Fxl4wmH1yZKCIjDSHsFArRLEiySrFltR4HZwlxLMym9dXKzZ5o/w640-h336-rw/gayatri-mata-ki-aarti.webp)
गायत्री माता हिन्दू धर्म में ज्ञान, संगीत और वेदों की देवी के रूप में पूजी जाता हैं | एक प्रमुख मंत्र ॐ भूर् भुवः स्वः गायत्री मंत्र गायत्री माता से जुडा हुआ एक पवित्र मानता हैं | हर धार्मिक पूजा व अनुष्ठान में यह मंत्र बोला जाता हैं |
गायत्री माता को त्रिदेव लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का अवतार माना जाता हैं | इनकी उपासना से ज्ञान, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं |
Gayatri Mata Ki Arti in Hindi
आरती श्री गायत्री जी की।
ज्ञानदीप और श्रद्धा की बाती।
सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
मानस की शुचि थाल के ऊपर।
देवी की ज्योत जगै, जहं नीकी॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
शुद्ध मनोरथ ते जहां घण्टा।
बाजैं करै आसुह ही की॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
जाके समक्ष हमें तिहुं लोक कै।
गद्दी मिलै सबहुं लगै फीकी॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
संकट आवैं न पास कबौ तिन्हें।
सम्पदा और सुख की बनै लीकी॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
आरती प्रेम सौ नेम सो करि।
ध्यावहिं मूरति ब्रह्म लली की॥
आरती श्री गायत्री जी की॥
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